सूर्यकुमार यादव…T-20 इंटरनेशनल का नंबर वन बल्लेबाज। आज उनकी जिंदगी की दर्द भरी कहानी पढ़िए। वह खिलाड़ी जो अगर 10 साल पहले टीम इंडिया में चुन लिया गया होता तो शायद हम आईसीसी टूर्नामेंट्स में इतनी बुरी तरह नहीं हारते। युवराज सिंह के बाद नंबर 4 पर अगर कोई खिलाड़ी मैच बदलने की क्षमता रखता है, तो वह है सूर्यकुमार यादव। पर क्या उनकी जिंदगी में सब कुछ इतना आसान रहा है? उनके परिवार ने सूर्या की खातिर क्या कुछ नहीं सहा है!
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12 साल पहले 20 वर्ष की उम्र में 2010 में रणजी क्रिकेट में डेब्यू के बाद रोहित शर्मा के साथ 73 रनों की मैच विनिंग पारी और मैन ऑफ द मैच का खिताब। 2011-12 के सत्र में मुंबई की तरफ से ताबड़तोड़ 754 रन। फिर लगातार घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में जलवा लेकिन टीम इंडिया में सिलेक्शन नहीं। जिस 31 साल की उम्र में बेन स्टोक्स ने वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया, उस एज में जाकर हमारे सूर्या को बीसीसीआई ने टीम इंडिया में खेलने का मौका दिया।
जब मुंबई के तमाम दिग्गज खिलाड़ियों को रणजी प्रदर्शन के आधार पर टीम इंडिया में चुन लिया गया तो मजबूरी में सूर्या को मुंबई का रणजी कप्तान बना दिया गया। निराशा लगातार उनके भीतर घर कर रही थी और इसी बीच 2014 में शार्दूल ठाकुर से मैदान पर लड़ाई हो गई। परिणाम यह हुआ कि सूर्या ने 2015 में अचानक मुंबई की कप्तानी छोड़ दी। अब सूर्यकुमार यादव का दिल क्रिकेट ने तोड़ दिया था और वह इससे दूर जाने की सोचने लगे थे। तभी 2016 में सूर्या की शादी हुई और पत्नी देविशा ने सूर्या को पॉजिटिव रहते हुए खेल पर ध्यान लगाने को कहा।
भारत में मान्यता है कि मां-बाप के कदमों में जन्नत होती है। जो अपने मां-बाप का सगा नहीं हुआ, वह दुनिया में किसी का नहीं हो सकता। खुद का भी नहीं.. ! सूर्या की मां सपना यादव हाउसवाइफ हैं और पिता अशोक यादव भाभा रिसर्च सेंटर में इंजीनियर। सूर्या अपनी मां से बेपनाह मोहब्बत करते हैं। चाहे कैसे भी हालात हों, हर मैच से ठीक पहले वह अपनी मां को फोन करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। फिर जब मैच खत्म हो जाता है, तो सूर्या एक बार दोबारा मां को फोन करते हैं और मैदान की सारी बातें बताते हैं। कुछ वैसे ही जैसे छोटा बच्चा स्कूल जाता है और लौटकर क्लास से जुड़ा हर घटनाक्रम अपनी मां को बताता है। फिर आंचल में सर रखकर गहरी नींद सो जाता है।
सूर्या के पिता इंजीनियर हैं और वह मुंबई में भाभा रिसर्च सेंटर की कॉलोनी में रहते हैं। वहां ज्यादातर बच्चे साइंटिस्ट और इंजीनियर बन गए। जब सूर्या ने शिद्दत से क्रिकेटर बनने का निश्चय कर लिया तो आसपास के लोग मां-बाप को बहुत ताने देते थे। बड़ा होकर सचिन तेंदुलकर बना दीजिएगा क्या? क्यों सूर्यकुमार यादव का करियर बर्बाद करने पर तुले हैं? पढ़ाई लिखाई करवाइए जिंदगी बना लेगा, नहीं तो उम्र भर दर-दर भटकता ही रहेगा। बीसीसीआई की मेहरबानी रही कि 31 साल की उम्र तक सूर्या के परिवार वालों को जमाने की जली-कटी बातें सुननी पड़ीं।
सूर्या तब अपने मां-बाप की आंखों में आंसू देख कर बहुत दुखी होते थे लेकिन कुछ बोल नहीं पाते थे। मार्च 2021 में डेब्यू के बाद टीम में जगह पक्की करने के 1 साल के भीतर दुनिया का नंबर वन टी-20 इंटरनेशनल बल्लेबाज। एक कैलेंडर ईयर में इस साल 1,000 से ज्यादा टी-20 इंटरनेशनल रन बनाने वाला पहला बल्लेबाज। भारत के लिए 40 टी-20 मुकाबलों में 179 की स्ट्राइक रेट से 1284 रन। इस T-20 वर्ल्ड कप में 6 मुकाबलों में 60 की औसत से 239 रन। वर्ल्ड कप के इतिहास में सबसे ज्यादा 190 का स्ट्राइक रेट….! यह सब जवाब है उन लोगों के लिए, जो निराशा के दौर में सूर्यकुमार यादव के परिवार पर कीचड़ उछालते थे। अगर आपके आसपास कोई सूर्यकुमार यादव शिद्दत से मेहनत कर रहा है, तो उसका साथ दीजिए। उसे नीचा मत दिखाइए।